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gular ka ped

क्या है गूलर का पेड़ और इससे मिलने वाले विविध लाभ

क्या है गूलर का पेड़ और इससे मिलने वाले विविध लाभ

गूलर पेड़ एक प्रमुख पेड़ है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। गूलर का पेड़ कई रोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। 

इस लेख में आप  gular ka ped kaisa hota hai? gular ka phool kaisa hota hai? gular ka ped?gular ka phool? प्रशनों के बारे में विस्तार से जान सकते है। 

gular ka ped kaisa hota hai?

गूलर का पेड़ विशालकाय वृक्ष हैं। गूलर के पेड़ की लम्बाई 30-40 फ़ीट होती है। गूलर के पेड़ पर हल्के हरे रंग का फल आता हैं जो पकने के बाद लाल रंग का दिखाई देता हैं। 

गूलर के पेड़ पर लगने वाले फल अंजीर के समान दिखाई पड़ते है। gular ka ped भारत देश में पाया जाने वाला बहुत ही आम पेड़ है। यह पेड़ अंजीर प्रजाति का हैं, इसे अंग्रेजी भाषा में कलस्टर फिग (Cluster Fig) भी कहते है। 

गूलर के पेड़ की सबसे मुख्य बात ये हैं की इसके पौधे में ज्यादा पानी नहीं देना पड़ता हैं इसमें 3-4 दिन में सिर्फ एक बार पानी दिया जाता हैं गूलर के पेड़ को अच्छे से विकसित होने में कम से कम 8-9 साल का वक्त लगता है। 

गूलर के पत्तों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाई बनाने के लिए किया जाता हैं। गूलर के फल में बहुत सारे कीड़े होने की वजह से इसे जंतु फल भी कहा जाता है। 

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गूलर के फल में कीड़े क्यों पाए जाते हैं

गूलर और पीपल के पेड़ को एक ही प्रजाति का माना जाता है। गूलर का फल चाहे बंद हो लेकिन गूलर का फूल खिलता हैं इसमें परागण करने के लिए कीड़े प्रवेश करते है। यह कीड़े फल का रस चूसने के लिए इसमें प्रवेश करते है। 

gular ka phool kaisa hota hai ? 

गूलर के पेड़ पर फल तो लगते है पर इसपर कभी फूल दिखाई नहीं देते है। गूलर का फूल कब खिलता हैं और कैसा होता हैं ये आज तक कोई नहीं जान पाया। 

माना जाता हैं गूलर का फूल रात में खिलता हैं जो किसी को दिखाई नहीं पड़ता है। गूलर के फूल को धन कुबेर से सम्बोधित किया जाता हैं, गूलर के पेड़ को धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

गूलर के पेड़ से मिलने वाले फायदे क्या हैं 

  1. गूलर के दूध की 10-15 बूँदे पानी में मिलाकर पीने से बबासीर जैसे रोगों में फायदा मिलता हैं साथ ही इसके दूध को मस्सों पर लगाने से मस्से दब जाते है। 
  2. गूलर के फल का सेवन पेट दर्द जैसे रोगों में भी सहायक हैं। 
  3. गूलर का फल खाने से मधुमेह जैसे रोगों में सहायता मिलती हैं साथ ही ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है। 
  4. गूलर के पत्तों के साथ मिश्री को पीस कर खाने से मुँह में गर्मी की वजह से होने वाले छालों में फायदेमंद रहता है। 

रक्त विकार में गूलर के फायदे 

रक्त विकार यानी शरीर के किसी भी अंग से अगर खून बहता हैं जैसे नाक से खून आना, मासिक धर्म जैसे रोगों में अधिक रक्तचाप होना इन सभी रोगो के लिए फायदेमंद है। इसमें गूलर के पके हुए 3-4 फलो को चीनी के साथ दिन में 2-3 बार लेने से आराम मिलता हैं।

घाव भरने में गूलर की छाल हैं उपयोगी 

gular ka ped कई रोगो में भी इस्तेमाल होता है। किसी भी घाव को जल्द से जल्द भरने के लिए गूलर की छाल का हम प्रयोग कर सकते है। 

gular ka ped की छाल का काढ़ा बनाकर उससे घाव को यदि रोजाना धोया जाये तो उससे घाव के भरने की ज्यादा सम्भावना रहती है। गूलर में रोपड़ नामक गुण पाया जाता हैं जो की घाव को भरने में सहायता करता है।

पाचन किर्या में हैं सहायक 

गूलर के फल को पाचन किर्या के लिए भी इस्तेमाल किया जाता हैं। गूलर का फल भूख को भी नियंत्रित करता हैं साथ ही स्वास्थ्य को भी स्वस्थ रखने में मददगार होता है। 

यह अल्सर जैसी बीमारियों को रोकने में भी लाभकारी साबित होता है। gular ka phool भी कई रोगों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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गूलर से होने वाले नुक्सान 

गूलर का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाईयों के लिए भी किया जाता हैं, लेकिन कभी कभी गूलर का ज्यादा इस्तेमाल करना भी हानिकारक हो जाता हैं :

आँतो पर सूजन आने की संभावनाऐं  

gular ka ped के फल का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए क्यूंकि इससे आँतों पर सूजन आने की ज्यादा आशंकाए रहती हैं, माना जाता हैं इसके ज्यादा इस्तेमाल से आँतों में कीड़े पड जाते हैं। 

गर्भवती महिलाओं को कभी भी इसका सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए, अगर वो इनका इस्तेमाल करती हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेकर वो गूलर का उपयोग कर सकती है। 

ब्लड प्रेशर का कम होना 

गूलर के ज्यादा उपयोग से ब्लड प्रेशर के भी कम होने की ज्यादा सम्भावनाये रहती है। जो की हार्टअटैक से जुडी बीमारियों को भी जन्म देता हैं। 

ब्लड प्रेशर के कम होनी की वजह से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बिगड़ जाता हैं और धीमा पड जाता है। इसीलिए गूलर के फल का बहुत ही कम उपयोग करना चाहिए। 

अलेर्जिक रिएक्शन 

गूलर के फल को खाने से इम्मुनिटी मिलती है। गूलर का फल फायदेमंद रहता हैं लेकिन इसके ज्यादा उपयोग से शरीर को नुक्सान पहुँच सकता हैं। 

गूलर के फल को खाने से शरीर में अलेर्जी जैसे बीमारियां भी उत्पन्न सकता हैं। यदि आपको लगे की गूलर के खाने से शरीर में कोई एलेर्जी महसूस हो रही हैं तो उसी वक्त उसका सेवन करना छोड़ दे। 

जैसा की आप को बताया गया की गूलर जड़ी बूटियों का पौधा है, जो की बबासीर, पिम्पल्स और मस्कुलर पैन में लाभकारी होता है। गूलर का इस्तेमाल बहुत से आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता हैं।

गूलर खून के अंदर आरबीसी (रेड ब्लड सेल) को बढ़ाता हैं, जो पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ( खून के रक्तचाप ) को संतुलित बनाये रखती है। गूलर का पेस्ट बनाकर और उसे शहद में मिलाकर लगाने से जलने के निशान भी चले जाते है।

इस पेड़ की छाल से होती है मोटी कमाई, दवाई बनाने में होती है इस्तेमाल

इस पेड़ की छाल से होती है मोटी कमाई, दवाई बनाने में होती है इस्तेमाल

आजकल किसानों का रुझान ऐसी खेती की तरफ बढ़ रहा है जो उन्हें अतिरिक्त कमाई करवा सके। इसके लिए किसानों ने अब वैज्ञानिक तरीके से नई फसलों की खेती करना शुरू कर दी है। ताकि वो परंपरागत खेती के साथ ऐसी चीजों का उत्पादन भी कर सकें जिनसे दवाइयां तथा प्रसाधन की सामग्री का निर्माण होता है। 

इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं गूलर के पेड़ की खेती के बारे में। जिसके प्रति किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो देश में गूलर की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है। 

गूलर की छाल, पत्तों और जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेद में दवाइयां बनाने में होता है। जिन्हें सूजन और दर्द में इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पुराने घाव को ठीक करने में गूलर की पत्तियों के लेप का इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसे करें गूलर के पेड़ की खेती

गूलर के पेड़ की खेती करना बेहद आसान है। यह लगभग हर तरह की मिट्टी में बेहद आसानी से उगाया जा सकता है। गूलर का पेड़ लगाते समय ध्यान रखें कि पेड़ के ऊपर कम से कम 7-8 घंटे सीधी धूप पड़नी चाहिए। गूलर का पेड़ आम तौर पर दो तरीकों से लगाया जाता है। 

गूलर का पौधा गूलर के फल से तैयार हो सकता है, इसके अलावा इसे कलम विधि से भी लगाया जा सकता है। जिसके लिए गूलर की कलम तोड़कर उसकी शार्प कटिंग करके तैयार किया जाता है। 

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इसके अलावा गूलर का पेड़ लगाने के लिए नर्सरी से इसके पेड़ को खरीद सकते हैं। नर्सरी से खरीदे गए पेड़ को गमले में लगाना चाहिए। इसके लिए गमले को अच्छी तरह से तैयार कर लें। उसमें मिट्टी के साथ ही गोबर की खाद भी मिला लें।

फिर नर्सरी से लाए गए पौधे को गमले में लगा दें, इसके बाद पौधे को पानी दें। गमले को ऐसी जगह रखें जहां सूरज की सीधी धूप आती हो। जब यह पौधा अच्छी तरह से विकसित हो जाए तो इसे जमीन पर स्थानांतरित कर दें।

गूलर की सिंचाई

गूलर के पौधे या पेड़ में ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती। जब पौधा छोटा हो तब हर 5 दिन में पानी दें। विकसित होने के बाद पौधे को पानी देना बंद कर दें। यह पेड़ पूरी तरह से विकसित होने के लिए 5 से 8 साल का समय लेता है। इसमें सामान्यतः कीटों का हमला नहीं होता है, ऐसे में किसानों को इसके बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

गूलर की खेती से कमाई

गूलर के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में होता है। इसके अलावा इसकी छाल, पत्तियों और फूल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है। ऐसे में किसान भाई इस पेड़ की खेती करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।